


देश के कई हिस्सों में H3N2 वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह वायरस इंफ्लुएंजा ए का एक सबटाइप है, जो इन दिनों तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। खास बात यह है कि यह वायरस आम फ्लू से थोड़ा अलग और ज़्यादा गंभीर है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लक्षण शुरुआती दौर में नजर आ सकते हैं, लेकिन इलाज में देरी गंभीर रूप ले सकती है।
क्या है H3N2 वायरस?
H3N2 वायरस दरअसल इंफ्लुएंजा ए वायरस का एक प्रकार है। यह एक मौसमी फ्लू है जो खासकर मौसम के बदलाव के समय सक्रिय हो जाता है। इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह वायरस लगातार म्यूटेट होता रहता है यानी इसका रूप बदलता रहता है, जिससे हर बार नया प्रकार सामने आ जाता है और लोगों को इसकी चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षणों को हल्के में न लें
H3N2 वायरस के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1 से 4 दिनों के भीतर सामने आने लगते हैं। तेज बुखार सबसे पहला लक्षण होता है। इसके साथ-साथ लगातार खांसी, गले में खराश या गले का बंद होना, और नाक का बहना या बंद हो जाना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को शरीर में तेज दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और सिरदर्द भी हो सकता है। थकान और कमजोरी इतनी ज्यादा होती है कि लोग सामान्य काम भी नहीं कर पाते।
बच्चों में कुछ अलग लक्षण
बच्चों में H3N2 के लक्षण कुछ अलग हो सकते हैं। छोटे बच्चों में बुखार के साथ उल्टी आना और जी मिचलाना भी आम होता है। कई बार माता-पिता इन लक्षणों को सामान्य पेट खराब समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।
कैसे फैलता है यह वायरस?
यह वायरस बेहद तेजी से फैलता है। खांसने, छींकने या बात करते समय निकले हुए वायरस युक्त बूंदों के ज़रिए यह दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति किसी सतह को छूता है और फिर वही सतह कोई और व्यक्ति छूता है, तो संक्रमण फैलने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इसके बाद अगर वह व्यक्ति अपने चेहरे, मुंह या आंखों को छूता है, तो वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है।